शुक्रवार, 5 अप्रैल 2013


सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए)


1.1    प्रारंभिक शिक्षा क्षेत्र शिक्षा प्रणाली का एक महत्‍वपूर्ण भाग है। नि:शुल्‍क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 (आरटीई) और भारत के संविधान में अनुच्‍छेद 21-क एक अप्रैल, 2010 से प्रचालन में आ गए हैं। इसके फलस्‍वरूप 6-14 वर्ष की आयु समूह के सभी बच्‍चों के लिए प्रारंभिक शिक्षा मौलिक अधिकार बन गया है।
 1.2   मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने आरटीई अधिनियम के कार्यान्‍वयन और परिणामस्‍वरूप सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) के सुधार के संबंध में एक विशेषज्ञ समिति गठित की थी। विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के आधार पर, एसएसए के मापदंडों को आरटीई के मापदंडों और मानकों के अनुरूप बनाने के लिए संशोधित किया गया है उदाहरण के लिए इसमें शिष्‍य-शिक्षक अनुपात, शिक्षक-कक्षा अनुपात आदि शामिल हैं। मापदंडों में किए गए मुख्‍य परिवर्तन निम्‍नलिखित से संबंधित हैं:-
 (iv)   अतिरिक्‍त कक्षा-कक्ष उपलब्‍ध कराना ताकि प्रत्‍येक शिक्षक के लिए अपना कक्ष हो, साथ ही मुख्‍य-अध्‍यापक-सह-अधिकारी के लिए एक कक्ष का प्रावधान करना।
 (vii) नियमित स्‍कूलों में आयु के अनुरूप प्रवेश को सुविधाजनक बनाने के लिए स्‍कूल से बाहर और स्‍कूल छोड़ देने वाले बच्‍चों के लिए विशेष प्रशिक्षण।
 (viii) कक्षा-5 और कक्षा-8 में क्रमश: प्राथमिक और उच्‍च प्राथमिक साइकिल चरण  विलयित करके आठ वर्षी प्राथमिक शिक्षा साइकिल चालने में राज्‍यों की सहायता के लिए अध्‍यापन शिक्षण उपस्‍करों का प्रावधान करना।
 क.    3,09,727 नए स्‍कूल खोलना
ख.    2,54,935 नई स्‍कूल बिल्डिंगों का निर्माण
ग.     11,66,868 अतिरिक्‍त कक्षा-कक्षों का निर्माण
घ.     1,90,961 पेयजल सुविधाओं का प्रावधान
ङ.      3,47,857 शौचालयों का निर्माण
च.     11.13 लाख शिक्षकों की नियुक्ति
छ.    14.02 लाख शिक्षकों को सेवाकालीन प्रशिक्षण (प्रतिवर्ष)
ज.    8.70 करोड़ बच्‍चों को नि:शुल्‍क पाठ्यपुस्‍तकों की आपूर्ति (प्रतिवर्ष)
 1.5   नौंवी योजना के दौरान सर्व शिक्षा अभियान कार्यक्रम के अंतर्गत सहायता 85:15 के भागीदारी प्रबंधन पर आधारित थी। दसवीं योजना के दौरान यह भागीदारी प्रबंधन 75:25 के आधार पर थी (वर्ष 2005-06 और 2006-07 के दौरान पूर्वोत्तर राज्यों के लिए 15% राज्य हिस्सेदारी पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय द्वारा वहन की गई)। 11वीं योजनावधि के दौरान वित्तीय पैटर्न इस प्रकार था:- 
  • योजना अवधि के पहले दो वर्षों के लिए 65:35, तीसरे वर्ष के लिए 60:40, चौथे वर्ष के लिए 55:45 और तत्पश्चात्‌ 50:50 । आठ पूर्वोत्तर राज्यों के लिए कार्यक्रम के अंतर्गत निधियन पैटर्न 90:10 है जिसमें सर्व शिक्षा अभियान के केन्द्रीय बजट में पूर्वोत्तर राज्यों के लिए उद्‌दिष्ट 10% निधियों में से केन्द्रीय हिस्सेदारी होगी। 
8 पूर्वोत्‍तर राज्‍यों के लिए केन्‍द्र और राज्‍य के बीच 90:10 के अनुपात में मौजूदा निधियां शेयर करने की पद्धति जारी रहेगी। 
1.7   इस कार्यक्रम के तहत समूचा देश शामिल है तथा यह 12.3 लाख बस्तियों के 19.4 करोङ बच्चों की आवश्यकताओं पर ध्यान देता है। इस कार्यक्रम के तहत ऐसी बस्तियों में नए स्कूल खोलने का प्रावधान है जहां स्कूली सुविधाएं नहीं हैं तथा अतिरिक्त शिक्षण कक्षा, शौचालय, पेयजल, अनुरक्षण अनुदान और स्कूल सुधार अनुदान के माध्यम से मौजूदा स्कूली अवसंरचना को सुदृढ करने का भी प्रावधान है। कार्यक्रम के तहत ऐसे विधमान स्कूलों में अतिरिक्त शिक्षक उपलब्ध कराए जाएंगे जहां शिक्षकों की संख्या पर्याप्त नहीं हैं। गहन प्रशिक्षण, अध्ययन-अध्यापन सामग्री तैयार करने हेतु अनुदान तथा शैक्षिक सहायता ढांचा विकसित करके मौजूदा शिक्षकों की क्षमता में वृद्घि की जाएगी। सर्व शिक्षा अभियान के तहत बालिकाओं तथा कमजोर वर्ग के बच्चों पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इस कार्यक्रम के तहत इन बच्चों के लिए निःशुल्क वर्दी और पाठ्‌यपुस्तकें प्रदान करने की व्यवस्था सहित कई पहल की गई हैं। सर्व शिक्षा अभियान में डिजीटल अंतराल को पाटने हेतु ग्रामीण क्षेत्रों में भी कंप्यूटर शिक्षा की व्यवस्था है।  
1.8   दो अतिरिक्‍त घटक अर्थात् एनपीईजीईएल और केजीवीवी महिला-पुरूष समानता को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा की दृष्टि से पिछड़े ब्‍लाकों में बालिकाओं पर विशेष ध्‍यान देते हुए कस्तूरबा गांधी बालिका विधालय स्कीम मुख्य रूप से अ.जा., अ.ज.जा. अन्य पिछङे वर्ग और अल्पसंख्यक समुदायों की बालिकाओं हेतु उच्च प्राथमिक स्तर पर आवासीय विधालय उपलब्‍ध कराती है। इस स्कीम में अ.जा., अ.ज.जा., अन्य पिछडे वर्गों अथवा अल्पसंख्यक समुदायों की बालिकाओं हेतु न्यूनतम 75% आरक्षण की व्यवस्था है और शेष 25% सीटें गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों की बालिकाओं को प्रदान की जाती है। ये स्‍कूल शैक्षिक रूप से पिछड़े उन ब्‍लॉकों में जहां ग्रामीण महिला साक्षरता दर 30% से कम है और उन शहरी क्षेत्रों में जहां महिला साक्षरता राष्‍ट्रीय औसत से कम है, स्‍थापित किए जाते हैं। 27 राज्यों में ये आवासीय स्‍कूल स्‍थापित किए गए हैं यथा : असम, आंध्र प्रदेश, अरूणाचल प्रदेश, बिहार, दिल्ली, झारखण्‍ड, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, जम्मू व कश्मीर, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ., मणिपुर, महाराष्ट्र, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, उड़ीसा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, पश्चिम बंगाल और दादर व नगर हवेली संघशासित प्रदेश। 30 सितम्‍बर, 2009 तक भारत सरकार द्वारा 2573 कस्तूरबा गांधी बालिका विधालय संस्वीकृत किए गए। दिनांक 30 सितम्‍बर, 2010 तक राज्यों में 2567 कस्तूरबा गांधी बालिका विधालयों (अर्थात्‌ 99.77%) के प्रचालित होने की सूचना प्राप्त हुई और 2,38,550 बालिकाओं को इनमें नामांकित किया गया जिनमें 58,271 अ.जा. बालिकाएं (27.07%), 60,439 अ.ज.जा. बालिकाएं (28.08%), 56,454 अ.पि.व. बालिकाएं (26.23%), 21,553 बी.पी.एल बालिकाएं (10.01%), 18,547 अल्पसंख्यक बालिकाएं 8.62% हैं।  
      एनपीईजीईएल विशेष रूप से स्‍कूल न जाने वाली बालिकाओं जिन तक 'पहुंचना कठिन' है, तक पहुंचता है। यह सर्व शिक्षा अभियान का एक ऐसा महत्वपूर्ण घटक है जो सामान्य सर्व शिक्षा अभियान उपायों के जरिए बालिका शिक्षा हेतु निवेशों के अतिरिक्त बालिका शिक्षा में बढ़ोतरी करने के लिए अतिरिक्त सहायता की व्यवस्था करता है। इस कार्यक्रम में गहन सामुदायिक सक्रियता तथा स्कूलों में बालिका नामांकन का पर्यवेक्षण करके प्रत्येक क्लस्टर में ''एक मॉडल विधालय'' विकसित करने की व्यवस्था की गई है। शिक्षकों को बालक-बालिका के प्रति संवेदनशील बनाना, बालक-बालिका संवेदी शिक्षण सामग्रियों का विकास करना, और जरूरत आधारित प्रोत्साहनों जैसे सहायक, लेखन सामग्री, अभ्यास-पुस्तिकाओं तथा वर्दियों आदि का प्रावधान करना इस कार्यक्रम के तहत प्रयासों में से कुछ प्रयास हैं।  
      एनपीईजीईएल शैक्षिक रूप से पिछङे ऐसे ब्लॉकों में कार्यान्वित की जाती है जहां ग्रामीण महिला साक्षरता स्तर राष्ट्रीय औसत से कम और महिला-पुरूष साक्षरता अंतराल राष्ट्रीय औसत से अधिक है, जिलों के ऐसे ब्लॉकों में जो शैक्षिक रूप से पिछडे ब्लॉकों में शामिल नहीं हैं परन्तु जहां कम से कम 5% अ.जा./अ.ज.जा. के व्यक्ति रहते है और जहां अ.जा./अ.ज.जा. महिला साक्षरता दर 10% से कम है और चुनिंदा शहरी झुग्‍गी बस्तियों में भी कार्यान्वित की जा रही है। पात्र 25 राज्यों में इस स्कीम के तहत शैक्षिक रूप से पिछडे लगभग 3286 ब्लॉकों को शामिल किया गया है। एन पी ई जी ई एल के तहत, लगभग 40322 मॉडल क्लस्टर विधालय खोले गए हैं 10,104 ई सी सी ई केन्द्रों को सहायता दी जा रही है, 26838 अतिरिक्त कक्षा-कक्ष निर्मित किए गए हैं और 2,14,731 शिक्षकों को बालक-बालिका संवेदनशीलता के बारे में प्रशिक्षण दिया गया है, 2,41,8036 बालिकाओं को उपचारात्मक शिक्षण प्रदान किया गया, 4,37,645 बालिकाओं हेतु सान्तराल पाठ्‌यक्रम चलाया गया, लगभग 1,41,26,572 बालिकाओं को वर्दियां आदि जैसे अतिरिक्त प्रोत्साहन (30 दिसम्बर, 2010 तक) शामिल हैं। 

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