मंगलवार, 1 मई 2012

जीवन एक संघर्ष है ,
बचपन बीते ,
जवानी बीते ,
न बीते दौर संघर्ष का ,
एक न एक दिन तो होना ही है ,
अंत हर एक का ,
मगर होता नहीं अंत ,
संघर्ष के खेल का ,
जीवन पथ में आए -
संघर्षों से
शेरनी थकी है ,
हारी नहीं ,
बचपन जाए - जवानी बीते,
भले ही उम्र कट जाए ,
संघर्ष के इस लुका - छिपी के खेल में ,
मुझे अंत तक डटे रहना है ,
क्योंकि -
जीवन का सत्य
व दूसरा नाम ही
संघर्ष है .

मेरी ज़िन्दगी एक बिखरी किताब है,


मेरी ज़िन्दगी
 एक बिखरी किताब है
हाल ज़िन्दगी 
का उस में लिखा है
हर पन्ना बिखरा हुआ
इधर उधर उड़ा हुआ
बेतरतीबी से फैला हुआ
सब किस्सों से भरे
किसी में अच्छे पलों का वर्णन
कुछ में दर्द की दास्ताँ है
कुछ पन्ने ग़ुम हुए
कुछ पर लिखे हर्फ़ मंद हुए
कुछ अनपढ़े,कुछ नए लगते हैं
कुछ ज्यादा पढ़े गए
वक़्त से पहले ही फट गए
कुछ खो जाएँ,मन कहता है
कुछ निरंतर पढूं,दिल चाहता है
कितने पन्ने और जुड़ेंगे
कितने रहेंगे,कितने उड़ेंगे
पता नहीं मुझ को
मुझ को तो चलते रहना है
निरंतर कुछ करना है
हर पन्ने पर कुछ
लिखना है

गुरुवार, 16 फ़रवरी 2012

zindagi

जिंदगी है थोड़ी ,
थोडा मुस्कुरा के चल
,दिल्लगी कर जिंदगी से
दिल लगा के चल .
सत्य है आँखों में ,
आँखों पे उठा के चल ,
सूर्या सबका लोगों को तू
ये समझा के चल .
डर न तू किसी से न डरा के चल
मौत है बेकाबू ,
सबको मीत बनाके चल ,
गीत गा तू प्यार के
गुनगुना के चल
.जिंदगी है थोड़ी ,
थोडा मुस्करा के चल ,
दिल्लगी कर जिंदगी से
दिल लगा के चल